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पत्थर तब तक सलामत है जब तक वो पर्वत से जुड़ा है.
पत्ता तब तक सलामत है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है.
इंसान तब तक सलामत है जब तक वो परिवार से जुड़ा है
क्योंकि परिवार से अलग होकर आज़ादी तो मिल जाती है लेकिन संस्कार चले जाते हैं...
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पत्थर तब तक सलामत है जब तक वो पर्वत से जुड़ा है.
पत्ता तब तक सलामत है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है.
इंसान तब तक सलामत है जब तक वो परिवार से जुड़ा है
क्योंकि परिवार से अलग होकर आज़ादी तो मिल जाती है लेकिन संस्कार चले जाते हैं...
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