Sunday, June 15, 2014

"अहिंसा परमो धर्मः धर्महिंसा तदैव च: l"

भारत में महाभारत का निम्नलिखित श्लोक
अधूरा क्यों पढाया जाता है ??
"अहिंसा परमो धर्मः"
जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है।
"अहिंसा परमो धर्मः धर्महिंसा तदैव च: l"
अर्थात
अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के
लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है...!!!!

4 comments:

  1. क्या इस श्लोक का पर्व तथा अध्याय बताने की कृपा करेंगे?

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  2. मैंने पूरी गीता पढ़ी है । मुझे कहीं ऐसा श्लोक नहीं मिला ।

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    1. महाभारत ग्रन्थ के वन पर्व में है ये श्लोक


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  3. मैंने पूरी गीता पढ़ी है । मुझे कहीं ऐसा श्लोक नहीं मिला ।

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